त्रिवेंद्र ने धामी के फैसले को बताया गलत”
पुराना पत्र आया सामने
“PPP मॉडल पर धामी-त्रिवेंद्र आमने-सामने”
“हरिद्वार मेडिकल कॉलेज बना विवाद की जड़”
“त्रिवेंद्र ने धामी के फैसले को बताया गलत”
“धामी के फैसले पर मंत्री भी नाराज़”
बीते दिनों संसद सत्र के दौरान हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश में अवैध खनन का मुद्दा उठा कर धामी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया था । जिसके बाद सरकार की तरफ से भी इसका जवाब आया । जिसमें एक अधिकारी ने सांसद रावत के दावों को झूठा ठहराया । और ये विवाद उस समय बढ गया जब इसमें त्रिवेंद्र की प्रतिक्रिया आई । इस विवाद में आई ए एस एसोसिएशन भी शामिल हो गई ।
एक बार फिर से ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीधे मुख्यमंत्री के फैसले पर सवाल उठाया है । त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक पत्र सामने आया है जो उन्होने 11 जनवरी को मुख्य मंत्री को लिखा है । 11 जनवरी का ये पत्र भले ही पुराना है । लेकिन ये सरकार के अंदर सत्ता संघर्ष को धरातल पर ले आता है । सरकार के अंदर ही शह और मात का खेल लगातार चल रहा है ।
अपने इस पत्र में त्रिवेंद्र ने स्पष्ट संकेत दिए है कि सी एम धामी द्वारा लिया फैसला सरासर गलत है । उसमें हरिद्वार मैडिकल कॉलेज को पी पी पी मोड़ पर दिए जाने पर आपत्ति जताई है । उन्होने अपने पत्र में स्पष्ट रुप से लिखा है कि इस फैसले को वापस लिया जाना चाहिए ।

अपने पत्र की शुरुआत में वो कहते हैं कि 100 सीटों का मैडिकल कॉलेज नगर निगम की 70 एकड़ भूमि पर बना है । जो कि सरकारी भूमि है । इसकी कीमत अरबों में बताते हुए वो लिखते हैं सरकार की तरफ से भी 700 करोड़ रुपय इस पर खर्च किए गए हैं । वो मुख्यमंत्री धामी को जानकारी देते हुए लिखते हैं कि पूरे देश में कहीं भी मैडिकल कॉलेज का संचालन पी पी पी मोड पर नहीं हो रहा है । त्रिवेंद्र धामी को याद दिलाते हैं कि इस मैडिकल कॉलेज का शिलान्यास उनके यानि त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्री काल में हुआ था ।
पत्र के एक हिस्से में त्रिवेंद्र ने सी एम धामी के फैसले की वैधानिकता पर भी सवाल खडे कर दिए । और इशारों में ये चेता दिया कि उनके पास इस फैसले के खिलाफ कई विकल्प खुले है । वो अपने पत्र में उदाहरण देते हुए बताते है कि हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मैडिकल कॉलेज को तात्कालीन सरकार एक ट्रस्ट से संचालित कर रही थी । और वो इस मामले को कोर्ट में ले गए । और अब इस मैडिकल कॉलेज का संचालन राज्य सरकार कर रही है ।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ त्रिवेंद्र इस मामले में धामी सरकार के सामने खडे हो गए हैं । जब ये जानकारी सामने आई कि इस मैडिकल कॉलेज को पी पी पी मोड़ पर दिया जा रहा है को वहाँ के छात्रों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों मे इसका जमकर विरोध किया ।
हरिद्वार मैडिकल कॉलेज का ये विवाद तब सामने आया जब अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने हरिद्वार मैडिकल कॉलेज को पी पी मोड़ पर देने का फैसला ले लिया । इसमें चिकित्सा शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को भी फैसले कि जानकारी नहीं दी गई । जबकि ये उनके विभाग से जुड़ा हुआ मामला था । सूत्र बताते हैं कि इस पर मंत्री धन सिंह रावत ने विरोध भी जताया । जिसके बाद ये मामला लटक गया ।विवाद बढता देख विचलन से लिया हुआ फैसला अभी कैबिनट में नहीं आया है ।